जो कहते थे, तेरी मेरे बिना औकात नही,
जो मानते थे उसके सिवा मेरे जज़्बात नही,
की अगर हठ गये मेरे पास से, तो मेरी कोई जात ना।
लो देख लो, मै सामने हु आज भी मज़बूत खड़ी,
चाहे जितना जांच लो, नही पड़ता मुझको फ़र्क़ भी।
तुम्हे लगता होगा पैसा माई बाप है,
की शायद पैसे से बड़ा ना कोई जज़्बात है।
ना माना मैंने पैसे को कभी इंसान से बड़ा,
शायद इसलिए भगवान् भी है मेरे साथ खड़ा।
तुमने सोचा होगा कितने साल माईके बिताए गी?
फिर तो वापिस लौट के यहा पर ही आएगी।
फिर वो अपना सिर खुद शर्म से झुकायगी,
और हमारी गलतिया वो ऐसे ही छुपाऐगी।
अब अक्ल आ गई है मुझे,
नही खुद को मै मनाऊँगी,
चाहे कुछ हो जाए ना वापिस जाऊंगी।
तुझे तेरी और अपनी,
दोनों की औकात मै दिखा ऊँगी।
Comment
No Comment Here