तिन का -2 जोड के बनाया मैंने एक घरों दा, जाने कहा से तेज़ हवा आई या किसी ने रौंदा, मै तो समझाती रही गेरो को भी अपना, मेरा परिवार मेरी दुनिया, सिर्फ था छोटा सा एक यही सपना,
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बचपन की बाहों मे जिनसे सीखे थे अक्षर, हस्ते -हस्ते रो दिए, कभी रो दिए जो हंसकर,